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जानिए आखिर जन्म से लेकर 2 साल तक की अवस्था में बच्चे क्या-क्या और कैसे सोचते हैं

 
जानिए आखिर जन्म से लेकर 2 साल तक की अवस्था में बच्चे क्या-क्या और कैसे सोचते हैं

लाइफस्टाईल डेस्क, जयपुर।। बच्चों के बारे में आपको यह जानकर बडा आश्चर्य होगा कि यह जीवन की विकासात्मक प्रणाली है जिसे बच्चे अपनी आंखों, हाथों, मुंह, हाथों, हाथों, काटने, या यहां तक ​​कि पूरे शरीर या संज्ञानात्मक विकास के पहले प्रमुख चरण के साथ सोचते हैं, जब बच्चे अपना विकास करते हैं। इस अवस्था को संवेदी मोटर चरण कहा जाता है। ‘इस अवस्था में बच्चे की इंद्रियां उसकी शिक्षिका होती हैं।’

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, स्विस मनोवैज्ञानिक जीन पियागेट के अनुसार, लड़कियां मानवीय अनुभूति के वातावरण या ज्ञान के अधिकार पर बहुत अधिक निर्भर करती हैं। भाषा सीखना इसके अंतर्गत आता है। भाषा की ध्वनियाँ और शब्द वातावरण में मौजूद विभिन्न क्रियाओं का प्रतीक हैं। इस चरण की एक अन्य प्रमुख विशेषता वस्तु स्थायित्व है जो लगभग 9 से 15 महीने के चरण में आती है। मतलब 9 महीने से पहले शिशु को कुछ भी समझ में नहीं आता है जो उसकी आंखों के सामने नहीं है। यह वास्तव में मौजूद है या नहीं। मतलब बच्चा 9 महीने से पहले कुछ भी नहीं रोएगा लेकिन 9 महीने बाद शुरू होगा तो बच्चा रोना शुरू कर देगा

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