बिहार में सुनील सिंह की सदस्यता रद्द होने के बाद मामले को तूल देने में जुटा महागठबंधन
पटना, 27 जुलाई (आईएएनएस)। राजद सुप्रीमो लालू यादव के करीबी माने जाने वाले सुनील सिंह की बिहार विधान परिषद से सदस्यता रद्द किए जाने के मामले को महागठबंधन तूल देने में जुटा है। इस मामले को जाति से भी जोड़ने की कोशिश की जा रही है।
महागठबंधन के नेताओं का कहना है कि सुनील सिंह की सदस्यता समाप्त किया जाना और बिस्कोमान के चेयरमैन को पद से हटाने से यह साफ होता है कि सरकार अलग नीति पर चल रही है। राजद प्रवक्ता अजय कुमार सिंह ने कहा कि सुनील सिंह पर जिस तरह से कार्रवाई की गई, उससे लोकतंत्र शर्मसार हुआ है। बिहार लोकतंत्र की जननी रही है, वहां इस तरह की कार्रवाई से लोकतंत्र की स्थापना करने वालों की आत्मा रो रही होगी।
उन्होंने साफ लहजे में कहा कि उन पर कार्रवाई कर कौन सा उदाहरण और नजीर प्रस्तुत किया गया है। क्षत्रिय समाज इसे स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है। सारण विकास मंच के संयोजक शैलेन्द्र प्रताप सिंह का कहना है कि मौजूदा सिस्टम क्षत्रिय समाज के खिलाफ काम कर रहा है। बिहार के किसी भी क्षत्रिय सांसद को मंत्री नहीं बनाया गया। क्षत्रिय समाज को इस नीति की समीक्षा करनी होगी। महागठबंधन में शामिल भाकपा माले ने भी सुनील सिंह की सदस्यता रद्द होने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह गलत परम्परा की शुरुआत है।
बिहार राज्य सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (बिस्कोमान) के अध्यक्ष पद से भी हाल में ही सुनील सिंह की छुट्टी कर दी गई है। सुनील सिंह लालू यादव के काफी करीबी माने जाते हैं, वह पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के मुंहबोले भाई हैं। सारण लोकसभा चुनाव के दौरान राजद प्रत्याशी रोहिणी आचार्य के चुनाव प्रचार की कमान इन्होंने ही संभाल रखी थी।
बता दें कि राजद एमएलसी सुनील सिंह की विधान परिषद सदस्यता शुक्रवार को समाप्त कर दी गई थी। सुनील सिंह के खिलाफ यह कार्रवाई मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नकल करने के मामले में की गई है। यह फैसला विधान परिषद की आचार समिति की रिपोर्ट के बाद लिया गया है। राजद एमएलसी पर आरोप था कि उन्होंने सदन में असंसदीय और अमर्यादित व्यवहार किया। विधान परिषद की आचार समिति की रिपोर्ट आने के बाद सभापति अवधेश नारायण सिंह ने सुनील सिंह की सदस्यता रद्द करने के आदेश दिए।
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