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पानीपत की बेटी निशा से परिजनों को पेरिस ओलंपिक में मेडल की आस

 
पानीपत की बेटी निशा से परिजनों को पेरिस ओलंपिक में मेडल की आस

पानीपत, 27 जुलाई (आईएएनएस)। पानीपत के गांव अदियाना की निशा दहिया पेरिस ओलंपिक में 68 किग्रा भारवर्ग में कुश्ती में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी। महज 13 साल की उम्र से कुश्ती की ट्रेनिंग कर रही निशा अपने परिवार में सबसे छोटी बेटी हैं। निशा ने अपने किसान पिता के सपने को पूरा करने के लिए कुश्ती के खेल को चुना।

निशा बचपन में पढ़ाई से ज्यादा खेलकूद की तरफ आकर्षित थीं, इसलिए परिवार वालों ने उनको गांव निडानी, जिला जींद में कुश्ती के अभ्यास के लिए भेज दिया था। निशा की मां बबली के अनुसार उनकी बेटी 14 साल से लगातार कुश्ती की ट्रेनिंग कर रही हैं। निशा ने अंडर-16 2014 एशियन गेम्स थाईलैंड में पहला मेडल जीता था। जब पहली बार गांव में मेडल आया तो लोगों को बहुत खुशी हुई। निशा की मां ने बताया कि इससे पहले गांव के लोगों को मेडल के बारे में बहुत ज्यादा नहीं पता था।

निशा की मां के लिए उनकी बेटी का ओलंपिक में जाना उनके लिए किसी मेडल जीतने से कम नहीं है। निशा यहां तक पहुंची हैं, तो वह मेडल भी लेकर आएंगी। निशा के चचेरे भाई विकास ने बताया कि उनकी बहन का 2021 में ओलंपिक में चयन नहीं हुआ था। लेकिन निशा ने हौसला ऊंचा रखा और 2023 में यूनाइटेड वर्ल्ड खेल में सिल्वर मेडल जीतकर पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया और हम सभी लोग बहुत खुश थे।

उनके भाई ने आगे बताया कि निशा की तैयारी काफी अच्छी है, परिवार को उम्मीद है कि वह गोल्ड मेडल जरूर जीतेंगी। हालांकि फिलहाल उनकी निशा से कम बात हो रही है क्योंकि निशा इस सयम पूरी तरह अपनी प्रैक्टिस पर ध्यान दे रही हैं।

निशा की चचेरी बहन मनीषा ने बताया कि, निशा के अंदर काफी धैर्य हैं, वह शांत नेचर की हैं। बचपन में निशा बड़ी शरारती थी, दूध-दही बहुत खाती थी। बाद में निशा को जब पता चला कि केवल दूध-दही से कुश्ती की जरूरत पूरी नहीं होती, तो उन्होंने खानपान पर ध्यान दिया। बहन ने बताया कि निशा की ओलंपिक उड़ान से बहुत अच्छा लग रहा है। ओलंपिक मेडल विजेता साक्षी मलिक एयरपोर्ट पर निशा को बधाई देने पहुंची थी।

--आईएएनएस

एएस/

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