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क्या आप जानती है देरी से मां बनने से भी हो सकता है ब्रेस्ट कैंसर, जानिए किस तरह बढता है खतरा

 
क्या आप जानती है देरी से मां बनने से भी हो सकता है ब्रेस्ट कैंसर, जानिए किस तरह बढता है खतरा

हैल्थ न्यूज डेस्क।। बदलते जमाने में आजकल महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर की समस्या बहुत तेजी से फैल रही है, यह बीमारी जानलेवा है और खासकर भारतीय महिलाओं में तेजी से बढ़ रही है। लेकिन इस दौर में पुरूष भी इसके शिकार बन जाते हैं, लेकिन महिलाऐं इसकी चपेट में ज्यादा आती हैं। अगर बात करें आंकड़ों की तो हर 8 में से एक महिला में ब्रेस्ट कैंसर की शिकार है जबकि 1 फीसदी पुरुष ब्रेस्ट कैंसर से जूझ रहे हैं। बीमारी से बचाव रहे इसलिए महिलाओं को इसके कुछ खास रिस्क फैक्टर समझने जरूरी हैं। 

तो इसी क्रम में आज आपको बताते हैं कि महिलाओं और पुरुषों में कौन से रिस्क फैक्टर्स ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ाते हैं…

पुरुषों में कब हो सकता है ब्रेस्ट कैंसर
. आनुवांशिक
. क्लाइनफेल्टर सिंड्रोम, जिसके कारण पुरुषों में X क्रोमोसोम और एस्ट्रोजन हार्मोन लेवल बढ़ जाता है, जिससे कैंसर का खतरा 20 से 60% तक रहता है।
. जेनेटिक म्यूटेशन, जिसके कारण पुरुषों के CHEK2, PTEN and or PALB2 जीन बदल जाते हैं।
. टेस्टिस (अंडकोष) में मूवमेंट न होना या 2 से अधिक टेस्टिस के कारण भी ब्रेस्ट कैंसर का रिस्क ज्यादा होता है।

महिलाओं में रिस्क फैक्टर
. महिलाओं में जेनेटिक के कारण इसका खतरा 1.5 गुना ज्यादा रहता है
. शारीरिक बनावट, जो पुरुषों से अलग है।
. 12 साल की उम्र से पहले पीरियड्स शुरु होना और 55 साल की उम्र के बाद मेनोपॉज होना
. प्रेग्नेंसी में देरी या ताउम्र बच्चे का जन्म न देना भी एक वजह

क्या आप जानती है देरी से मां बनने से भी हो सकता है ब्रेस्ट कैंसर, जानिए किस तरह बढता है खतरा

महिलाओं में 70 साल और पुरुषों में औसतन 72 साल की इस जानलेवा बीमारी का खतरा रहता है।

 इन लक्षणों की अनदेखी बिलकुल ना करें... 
- स्तनों पर किसी तरह की गांठ
- स्तनों में दर्द, खुजली और लालगी
- अंडरआर्म्स या बाजू कंधे के आसपास हिस्से में दर्द, सूजन या गांठ बनी हो।
- गर्दन के ऊपरी हिस्से में दर्द और सूजन
- निप्पल में मटमैला पानी जैसे चिपचिपा डिस्चार्ज हो तो। 
- निप्पल मुड़े हो या निप्पल का रंग व आकार बदलने लगे।
- बहुत ज्यादा थकान महसूस होना

ये तरीके अपनाकर ब्रेस्ट कैंसर से दूर रखेंगे
नहाते समय स्तनों के आसपास हाथ लगाकर जरूर चेक करें क्योंकि समय रहते इसका पता चल जाए तो इलाज संभव है।
वजन को कंट्रोल में रखें।
मेडिटेशन करें खुद को तनाव से दूर रखें। 
जंकफूड, प्रोसेस्ड फूड, अल्कोहल-स्मोकिंग का सेवन ना करें। 
समय-समय पर मैमोग्राफी, जेनेटिक टेस्टिंग करवाएं
डाइट में हैल्दी चीजों जैसे दूध, दही, फ्रूट्स नट्स व हरी सब्जियां खाएं।
व्यायाम-योग को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं।
 

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