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पीसीओएस से जुड़े वे मिथक जिन्हें इस महिला से  दूर करना चाहिए जाने पूरी जानकारी 

 
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जैसा कि हम महिला दिवस मनाने वाले हैं, आइए अपनी चर्चा को केवल कार्यस्थलों में महिला सशक्तिकरण करने तक ही सीमित न रखें. इसके बजाय क्यों न हम ‘महिलाओं’ की हर बात पर बात करें? आइए हम उन विषयों पर चर्चा करें जो महिलाओं के लिए बेहद अंतरंग और प्रासंगिक हैं. ऐसा करने से न केवल यह सुनिश्चित होगा कि महिलाओं को कार्यस्थलों पर बेहतर ढंग से समझा जाएं, बल्कि आमतौर पर उनकी अच्छी सेहत का मार्ग भी प्रशस्त होगा.इस संदर्भ में, पीसीओएस या पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम, जिसका महिला के हार्मोन के स्तर पर प्रभाव पड़ता है, ज़्यादातर मामलों में, पीसीओएस से पीड़ित महिलाएं ज्यादा वज़न की होती हैं. पीसीओएस प्रजनन आयु की किसी भी महिला को हो सकता है.

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 पीसीओएस एक स्वास्थ्य स्थिति है जिसे अभी भी अच्छी तरह से समझा नहीं गया है. पीसीओएस महिलाओं में होने वाले बांझपन का सबसे आम और सबसे अधिक इलाज योग्य कारण है.यह सच है कि पीसीओएस के दौरान ज़्यादा मीठा खाने से बचना चाहिए. हालांकि, सीमित तरीक़े से मीठा खाया जा सकता है. चूंकि विभिन्न महिलाओं में हार्मोन के आधार पर अलग-अलग लक्षण दिख सकते हैं, पीसीओएस में सभी के लिए एक जैसा दृष्टिकोण नहीं होता है.यह सच नहीं है. पीसीओएस के दौरान प्रोटीन, फाइबर, विटामिन और मिनरल्स से भरपूर हेल्दी स्नैक्स आपकी डाइट का हिस्सा होना चाहिए. वे ख़ाली पेट के दर्द को कम करेंगे और ज़्यादा खाने से बचाएंगे. साथ ही, फ़ाइबर से भरपूर स्नैक्स इंसुलिन प्रतिरोध को संभालने में मदद करते हैं.तो आइए, इस महिला दिवस, सुनिश्चित करें कि आप पीसीओएस से संबंधित मिथकों को दूर करके अपनी ज़िम्मेदारी निभाएंगी. किसे पता कि यह किस तरह से किसी को सशक्त करने का मार्ग प्रशस्त करे!

 

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