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क्या सच घटता फैट फ्री​जींग से बैली फैट, जानें यहां

 
क्या सच घटता फैट फ्री​जींग से बैली फैट, जानें यहां

लाइफस्टाइल डेस्क, जयपुर।। आजकल के बदलते दौर में गलत लाइफस्टाइल व खराब खानपान के चलते हर कोई पेट की बढती चर्बी से परेशान रहता है। ऐसे में वह हर पल इसे कम करने के चक्कर में लगा रहता है। लेकिन पेट की जिद्दी चर्बी आसानी से कम नहीं होती है। इसके लिए लोग वर्कआउट, डाइटिंग से लेकर कई घरेलू नुस्खे काम में लेते हैं। वर्कआउट और डाइट से पेट की चर्बी कम नहीं कर पा रहे तो ऐसे में आप फैट फ्रीजिंग प्रक्रिया का सहारा ले सकते हैं। यह फार्मुला पहले सिर्फ विदेशों में ही इस्तेमाल किया जाता था लेकिन भारत में भी पिछले कुछ समय से यह फेमस हो रही है। तो आइए जानते है कि यह क्या है फैट फ्रीजिंग प्रोसेस और इसके फायदे-नुकसान के बारे में

क्या है फैट फ्रीजिंग?
इसे साल 2010 में एफडीए द्वारा अनुमति दी गई है, जो 25 प्रतिशत वसा को हटाने में मदद करती है। फैट फ्रीजिंग एक नॉन-सर्जिकल कॉस्मेटिक ट्रीटमेंट है, जिसे क्रायोलिपोलिसिस और CoolSculpting के नाम से भी जाना जाता है। इससे डबल चिन, जांघों, पेट, पीठ या ऊपरी बाहों के फैट को भी कम करने में मदद मिलती है। सिर्फ वेट लूज ही नहीं बल्कि शरीर को कंटूरिंग और टोनिंग करने में भी यह प्रक्रिया बहुत फायदेमंद है।

कैसे काम करती है फैट फ्रीजिंग ?
फैट फ्रीजिंग प्रक्रिय में इलेक्ट्रिक पैडल का यूज किया जाता है। पैडल को फैट वाले हिस्से पर लगाकर लगभग 35 मिनट से 1 घंटे और 15 मिनट के लिए छोड़ दिया जाता है, ताकि एक्स्ट्रा वसा कोशिकाओं को जमाया जा सके। इसके बाद लिवर उन टिशू को पचाकर शरीर से बाहर निकाल देता है, जिससे धीरे-धीरे चर्बी कम होने लगती है। ऐसा दावा है कि इससे करीब 20% -25% वसा नष्ट हो जाती है। 

क्या सच घटता फैट फ्री​जींग से बैली फैट, जानें यहां

किन लोगों को दी जाती है सलाह?
. जिन लोगों को डाइट, वर्कआउट से भी कोई फायदा ना मिल रहा हो
. ढीली त्वचा
. खराब त्वचा टोन
. क्रायोग्लोबुलिनमिया (ऐसी स्थिति जिसमें रक्त में असामान्य प्रोटीन जम जाए)
. शीत पित्ती
. पैरॉक्सिस्मल कोल्ड हीमोग्लोबिनुरिया (एनीमिया का प्रकार)

साइड इफेक्ट क्या हैं?
आप जानते है कि हर तकनीक की तरह फैट फ्रीजिंग से भी कुछ साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं लेकिन वो ज्यादा गंभीर नहीं होते...

. ट्रीटमेंट लेने के बाद स्किन लाल पड़ना
. ट्रीटमेंट वाली स्किन में खुश्की
. रैशेज व निशान पड़ना
. स्किन में ढीलापन
. स्किन में गुदगुदी या चुभन महसूस होना

वहीं, कुछ लोगों को लंबे समय दर्द, स्किन अल्सर, फ्रॉस्ट बाइट भी हो सकते हैं।

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