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यहां पर धरती फाडकर निकली थी मां काली, मूर्ति के आगे माथा ​टेकने से भक्तों की हर मुराद होती है पूरी

 

लाइफस्टाइल न्यूज डेस्क।। गोरखपुर शहर के गोलघर स्थित मां काली मंदिर की महिमा को दूर-दूर के लोग जानते हैं। कहा जाता है कि जो भक्त सच्चे मन से मां की पूजा करता है मां उसकी मनोकामना पूरी करती हैं। मंदिर के लोगों का मानना ​​है कि मंदिर के अंदर मां काली की मूर्ति मिट्टी फाड़कर निकली थी। गोलघर का यह मंदिर मुख्यालय से करीब 1 किमी की दूरी पर है। सुबह होते ही मंदिर के कपाट खुलते ही माता के दर्शन के लिए भक्तों की लंबी कतार लग जाती है। वहीं अगर नवरात्रि की बात करें तो मंदिर के आसपास मेले जैसा माहौल देखने को मिलता है। यहां पूजा सामग्री और प्रसाद चढ़ाने वाली दर्जनों दुकानें हैं। दूर-दूर से भक्त मां के दर्शन के लिए आते हैं और विधि-विधान से उनकी पूजा करते हैं और सुख-दुख से अपनी झोली भरने की कामना करते हैं।

काली मंदिर का इतिहास

बरसों पहले गोलघर का पूरा इलाका जंगल था, उसी जंगल में एक जगह मां का मुंह फटा और धरती खुल गई। जब आसपास के लोगों को मां के मुख से धरती से निकलने की बात पता चली तो यहां भीड़ जमा हो गई और लोग पूजा-अर्चना करने लगे. बाद में भक्तों की आस्था को देखते हुए यहां एक मंदिर बनवाया गया। तभी से मंदिर में नित्य पूजा होने लगी। पहले एक मूर्ति थी जो जमीन से निकली थी। बाद में वहां काली मां की एक बड़ी प्रतिमा स्थापित की गई। मूर्ति के ठीक सामने स्वंभु काली मां का चेहरा आज भी वैसा ही है जैसा कि जमीन से निकलने के समय था। काली मंदिर के पुजारी श्रवण सैनी का कहना है कि गोलघर की काली माता में आस्था सर्वविदित है। कहा जाता है कि काली मणि की मूर्ति का स्वरूप सुबह, दोपहर और शाम को बदल जाता है। यही वजह है कि सच्चे मन से उनसे मांगी गई हर मुराद पूरी होती है। उन्होंने कहा कि मंदिर में हमेशा भीड़ रहती है, लेकिन नवरात्र में यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। मंदिर के चारों ओर मेले का माहौल है।

मां काली भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती हैं

काली मंदिर के पुजारी के अनुसार सुबह, दोपहर और शाम के समय काली मां की मूर्ति के स्वरूप में परिवर्तन होता है। यही वजह है कि सच्चे मन से उनसे मांगी गई हर मुराद पूरी होती है। नवरात्र में भी यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। तब यहां चारों ओर मेले जैसा माहौल नजर आता है।