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भारत का एक ऐसा मंदिर जहां आठ दिनों तक अंगारों से खेलते हैं लोग, वजह जान दंग रह जाएंगे आप

 

लाइफस्टाईल न्यूज डेस्क।। भारत मंदिरों का देश है। यहां पर 96 करोड़ हिंदुओं के लिए करीब 20 लाख मंदिर है। हर मंदिर का अपना इतिहास है और कोई न कोई मंदिर अपने भीतर अनोखा राज समेटे बैठा है। कुछ मंदिर तो ऐसे हैं, जिनकी कहानी बड़ी दिलचस्‍प है, लेकिन इसके अंदर छिपे गहरे राज का पता आज तक कोई नहीं लगा पाया है। खैर, आज हम आपको भारत के उस मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में आपने आज तक नहीं सुना होगा।

15 मिनट तक आग का खेल

हर साल नवरात्रि के दिनों में अ्प्रैल महीने में आठों दिन तक आग का खेल खेला जाता है। इसकी शुरुआत मेष संक्रांति के एक दिन पहले से हो जाती है। दूर-दूर से लोग इस खेल को देखने के लिए यहां आते हैं। पहली बार ऐसा नजारा देखने वालों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। अग्नि केली नाम की एक परंपरा है, जो आतुर और कलत्‍तुर गांव के बीच होती है। इस खेल में लोग नारियल की छाल से बनी मशाल को एक दूसरे पर फेंकते हैं। लगभग 15 मिनट तक यह खेल खेला जाता है। लोगों का मानना है कि ऐसा करने से उनके दुख दर्द कम हो जाते हैं।

मंदिर का इतिहास

काफी समय पहले एक अरुणासुर नामक एक राक्षस था, जिसे ब्रह्मा जी का वरदान प्राप्त था कि उसे ना तो कोई दो पैरों वाला जीव मार पाएगा और ना ही चार पैर वाला जीव । इसी वरदान का फायदा उठाकर अरुणासुर धरती पर अत्याचार करने लगा। जिससे कि दुर्गा मां को अरुणा सुर का वध करने के लिए धरती पर आना पड़ा। मान्यता है कि अरुणासुर दुर्गा मां को मारना चाहता था, तो उससे बचने के लिए दुर्गा मां ने अपने चट्टान का रूप ले लिया था।

मां के नौ अवतारों के दर्शन कर सकते हैं यहां

इस मंदिर का प्रवेश द्वार को गोपुरा कहते हैं। य‍ह मंदिर का पहला आकर्षण है। अगर इसकी ऊंचाई की बात की जाए तो यह लगभग 108 फीट ऊंचा है। जो किसी का भी ध्यान अपनी और आकर्षित कर लेता है। इस मंदिर में जाकर आप दुर्गा मां के नौ अलग-अलग अवतारों का दर्शन एक साथ कर सकते हैं।

मंदिर में भोजन की व्‍यवस्‍था

यह मंदिर सुबह 4 बजे खुल जाता है और दोपहर 12 से 3 बजे तक इसके कपाट बंद रहते हैं। जिसके बाद दोपहर 3 बजे से रात 10 बजे तक मंदिर श्रद्धालुओं के लिए खुला रहता है। दोपहर 12:30 से 3 बजे तक और रात 8:30 से 10 बजे के बीच में भक्‍तों के लिए भोजन की व्‍यवस्‍था भी की जाती है। बता दें कि भक्‍तों को प्रसाद के रूप में ही भोजन कराया जाता है।

मंदिर में भोजन की व्‍यवस्‍था

यह मंदिर सुबह 4 बजे खुल जाता है और दोपहर 12 से 3 बजे तक इसके कपाट बंद रहते हैं। जिसके बाद दोपहर 3 बजे से रात 10 बजे तक मंदिर श्रद्धालुओं के लिए खुला रहता है। दोपहर 12:30 से 3 बजे तक और रात 8:30 से 10 बजे के बीच में भक्‍तों के लिए भोजन की व्‍यवस्‍था भी की जाती है। बता दें कि भक्‍तों को प्रसाद के रूप में ही भोजन कराया जाता है।