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नेपाल की राजधानी काठमांडू में क्यों बैन हुआ गोलगप्पा, पढ़िए सोशल मीडिया पर लोगों ने क्या दिया जवाब

 

लाइफस्टाइल न्यूज़ डेस्क।। गोलगप्पे, फुल्की, बताशे, पानीपुरी, आप चाहे किसी भी नाम से इस डिश को जानते हों, लेकिन यह बहुत ही स्वादिष्ट बनती है. भारत में लोग गोलगप्पे इतने चाव से खाते हैं कि हर गोलगप्पे के ठेले पर आपको भीड़ मिल जाएगी. कई लोग एक साथ कई प्लेट गोलगप्पे खाते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया में एक देश ऐसा भी है जहां सरकार ने सिर्फ गोलगप्पे की बिक्री पर रोक लगा दी है। क्या आप इस देश के बारे में जानते हैं? आइए बिना पहेली सुलझाए हम आपको बताते हैं इस देश का नाम। पड़ोसी देश नेपाल (व्हाई नेपाल बैंग गोलगप्पे) में सरकार ने कुछ समय पहले गोलगप्पों पर बैन लगा दिया है. सोशल मीडिया साइट Quora पर जब इस बारे में किसी ने सवाल पूछा तो लोगों ने अपनी राय रखी. Quora एक सोशल मीडिया वेबसाइट है जहां आम लोग अपने सवाल पूछते हैं और आम लोग उनका जवाब देते हैं। हाल ही में किसी ने पूछा- "नेपाल सरकार ने गोलगप्पे पर प्रतिबंध क्यों लगाया है?"

इसके बाद लोगों ने अपनी राय दी और इस सवाल का जवाब दिया. जितेंद्र बाथम ने कहा - "आम आदमी के लिए सामान्य स्तर पर गोलगप्पे खुले में बनाए जाते हैं. सबसे ज्यादा गड़बड़ी इसके पानी में होती है। जो कि बिना सुरक्षा नियमों की सफाई के काफी हानिकारक साबित हो सकता है। हानिकारक बैक्टीरिया के कारण नेपाल सरकार ने इन पर प्रतिबंध लगा दिया है। नीरज तिवारी ने कहा- 'काठमांडू में हैजे के मामले बढ़ने के कारण नेपाल सरकार ने गोलगप्पे पर बैन लगा दिया है. वहां के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि गोलगप्पे के पानी में हैजे का बैक्टीरिया पाया गया है.

नेपाल में हैजा के मामले बढ़ने लगे

लोगों ने कई तरह के जवाब दिए, लेकिन अब जानिए हकीकत क्या है। बिजनेसवर्ल्ड वेबसाइट की एक जून की रिपोर्ट के अनुसार, काठमांडू घाटी में हैजा के मामले तेजी से बढ़ रहे थे। इसको लेकर ललितपुर महानगर पालिका ने गोलगप्पे की बिक्री पर रोक लगा दी है. देश के स्वास्थ्य मंत्रालय ने लोगों से गोलगप्पे नहीं खाने और हैजे के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाने को कहा है.उन्हें थेरेपी करवानी पड़ी, जिसके चलते उन्होंने 5 दिनों तक लगातार 24 घंटे बैग कैरी किया. उन्हें लगातार 8 महीने बीटसन कैंसर सेंटर में रहना पड़ा। 606 घंटे की स्पेशल कीमोथेरेपी पर रहना पड़ा। काफी मुश्किलों के बाद आखिरकार उन्होंने इस बीमारी को मात देकर जिंदगी की जंग जीत ली। इसके बाद उन्होंने कैंसर पीड़ितों के लिए चैरिटी का काम करना शुरू किया और उनके साथ क्रिसमस भी मनाया।