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हवन करते समय क्यों बोलते हैं 'स्वाहा', जानकर हैरान हो जाएंगे आप

 

लाइफस्टाईल न्यूज डेस्क।। हिंदू धर्म में घर में शांति लाने के लिए हवन किया जाता है। हवन को सबसे पवित्र अनुष्ठान माना जाता है। आपने देखा होगा कि हवन के समय उपस्थित लोग हवन सामग्री को हवन कुंड में चढ़ाते समय 'स्वाहा' बोलते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यह शब्द केवल हवन के समय ही क्यों बोला जाता है। अगर आप नहीं जानते तो आज हम आपको बताएंगे.

हवन मंत्र के साथ बोले जाने वाले 'स्वाहा' शब्द का अर्थ है उसे ठीक से पहुंचाना अर्थात किसी भी बात को अपने प्रियजन तक सुरक्षित और सही तरीके से पहुंचाना। वहीं पौराणिक मान्यता है कि 'स्वाहा' अग्निदेव की अर्धांगिनी है इसलिए हवन के दौरान स्वाहा शब्द का प्रयोग किया जाता है.

पौराणिक मान्यता के अनुसार, जब तक देवता उस हवन को स्वीकार नहीं करते, तब तक हवन सफल नहीं होता है। स्वाहा के माध्यम से ही भगवान हवन को स्वीकार करते हैं। कहा जाता है कि 'स्वाहा' प्रजापति दक्ष की पुत्री थीं। उनका विवाह अग्नि देवता से हुआ था। अग्निदेव अपनी पत्नी 'स्वाहा' के माध्यम से ही हविष्य ग्रहण करते हैं और उन्हीं के माध्यम से आवाहन देवता को हविष्य की प्राप्ति होती है।

वहीं इससे जुड़ी एक और दिलचस्प कहानी है. इस कथा के अनुसार, 'स्वाहा' प्रकृति की एक कला थी जिसका विवाह देवताओं के आदेश पर अग्नि के साथ संपन्न हुआ था। कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं 'स्वाहा' को वरदान दिया था कि केवल उसके माध्यम से ही वह हविष्य को ग्रहण कर सकेगा। इसीलिए कोई भी हवन तब तक पूर्ण नहीं माना जाएगा जब तक आह्वान करते समय स्वाहा शब्द का प्रयोग न किया जाए।